PAGES (Updated Regularly)

Saturday, May 12, 2012

ॐ साईं राम


१ मार्च, शुक्रवार, १९१२-

मैंने काँकड आरती में हिस्हा लिया और प्रार्थना के बाद पँचदशी के पाठ की सँगत की, किन्तु बापू साहेब जोग और उपासनी को देर हुई क्योंकि उन्हें हजामत करवानी थी, और हम असल में तब तक नहीं निकल पाए जब तक कि साईं बाबा बाहर नहीं चले गए, और हमने उनके साठे वाड़ा के पास दर्शन किए। जब हम सच में शुरूआत करते हैं तभी प्रगति होती है।

मैं लगभग सुबह ११ बजे के करीब मस्जिद गया , साईं बाबा बहुत आनन्दित भाव में थे, पर थके हुए लग रहे थे। त्रियम्बक राव जिस बात के लिए फकीर बाबा को अपशब्द कह रहे थे वह मेरी दृष्टि में वह तुच्छ बात थी।

दोपहर की आरती रोज़ाना की तरह सम्पन्न हुई। साईं बाबा श्रीमान दीक्षित, नाना साहेब चाँदोरकर और साठे को याद कर रहे थे। भोजन के बाद हमने अपनी पँचदशी की सँगत को आगे बढाया और अच्छी प्रगति की। हमने साईं बाबा के दर्शन उनकी शाम की सैर के समय किए और रात को भीष्म ने भागवत और दासबोध का पठन किया। उन्होंने भजन भी गाए, बाला साहेब भाटे भी उसमें सम्मिलित हुए। हमारे सामने रहने वाले एक तेली की आज शाम को मृत्यु हो गई। उसकी पत्नि सतराबाई और पुत्री गोपी घरेलू नौकर का कार्य करते हैं।


जय साईं राम