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Saturday, March 13, 2010

Details about Baba's belongings ~~~ श्री साईं बाबा की कुछ वस्तुएं ~~~

ॐ साईं राम!!!

Details about Baba's belongings ~~~ श्री साईं बाबा की कुछ वस्तुएं ~~~ 

श्री साईं बाबा की कुछ वस्तुएं ~~~

कमरबंध और लंगोट --- बाबा की देह हो स्नान कराने के बाद उतारा हुआ, कमरबंध और लंगोट श्री बाबा जी पिल्ले जी के पुत्र ने संभाल कर रखा हुआ है |

द्वारकामाई का सिंहासन --- काका साहेब के साले , खांडवा के पुरुषोत्तम राव ने इसे साईं नाथ को अर्पित किया था |

रथ --- इसे रेगे , अवस्थी , कोठारी ने दिया था |

पालकी --- हरदा निवासी सदुभ्य्या , छोटू भय्या और राजा भय्या ने दी थी |

घोड़ा { श्यामसुन्दर } --- एक ताँगे वाले सातार ने दिया था |

बतर्न --- भालदार व चोपदारों के चांदी के चिन्ह , चंवर , चांदी का पुराना सिंहासन , चांदी व पीतल के पूजा के बर्तन आदि राधाकृष्णमाई ने साईं भक्तों से विनती कर साईं नाथ की शोभा यात्रा व पूजा अर्चन के लिए इकट्ठे किए थे | जो काम पुरुष न कर सके , वह काम एक महिला ने कर दिखाया |

चिलम --- नारायण कुम्हार साईं नाथ को एक कच्ची चिलम दिया करता था जिसे साईं महाराज स्वयं धुनी में पका कर पक्की करते थे  | उस कुम्हार को साईं महाराज इसके चार आने दिया करते थे |

कफनी का कपड़ा --- बाबा नंदू बनिये से सफेद लट्ठा ३२ हाथ लंबा लिया करते थे | उसके बदले उसे चार रूपये दिया करते थे |

कफनी की सिलाई --- कफनी को बला शिम्पी नाम का दर्ज़ी सिलकर दिया करता था | लेकिन बाबा उसे दोबारा मोटी सुई से सिया करते थे | वे कफनी की सिलाई चार रूपये दिया करते थे |

पादुका --- चूना का बाह्मणी , जो बाबा केवल लेंडी बाग़ आने - जाने के लिए इस्तेमाल किया करते थे | बाकी समय वे उसका उपयोग नहीं करते थे |

पान के बीड़े --- राधाकृष्णमाई दिन में तीन चार बार बाबा को खाने के लिए पान बना कर दिया करती थी तथा दांत में फंसे हुए कण आदि निकालने के लिए चोटी तीली भी दिया करती थी |

बाबा के स्नान का पत्थर --- ये  '' चौरंग " नासिक के रामा जी ने बनवाया था | रामा जी मानसिक रूप से असवस्थ थे , बाबा जब स्नान करते तो रामा जी उनके शरीर से छूकर गिरे हुए जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते और अपने शरीर पर मलते थे | ऐसा करने से उनकी मानसिक दशा में सुधार हुआ | बाबा को धन्यवाद करने के लिए उनहोंने यह पत्थर बनवाया था |

पलंग --- इस लकड़ी के तख़्त पर बाबा को अंतिम स्नान कराया गया | आजकल इसे चावडी की पश्चिम दीवार के साथ रखा गया है |

पान की डिब्बी --- यह डिब्बी सगुण मेरु नाईक ने अपने पास संभाल कर रखी थी |

जय साईं राम!!!