ॐ साईं राम!!!
२१ दिसम्बर , १९११ ~~~
मैं और दिनों की ही तरह सुबह जल्दी उठ गया , प्रार्थना की और दरवेश साहेब के साथ बातचीत करने बैठा | वे बोले कि उन एक स्वपन हुआ जिसमें उन्होंने तीन लड़कियों और एक अंधी महिला को उनके दरवाज़े को खटखटाते हुए देखा | उन्होंने उनसे पूछा कि , वे कौन हैं और उन्होंने उत्तर दिया कि वे लोग अपनी मौज मस्ती के लिए आई हैं | इस पर उन्होंने उनसे निकल जाने को कहा और इबादत शुरू कर दी | वे लडकियाँ और बड़ी औरत इबादत के उन शब्दों को सुनकर भाग खड़ी हुई |फिर उन्होंने कमरे और घर में और पुरे गावँ में सभी को दुआ की | उन्होंने मुझसे साईं साहेब से पूछने को कहा | मैं उनके लौटने के बाद दर्शन के लिए गया , और अभी ठीक से बैठा ही था कि साईं साहेब ने एक कहानी शुरू कर दी | उन्होंने कहा कि कल रात किसी चीज़ से उनके गुप्तांगों पर मार पड़ी , फिर उन्होंने तेल लगाया , इधर -उधर घूमें , शौच को गए और फिर आग के पास बेहतर महसूस किया | मैंने उनकी चरण सेवा की और लौटने पर वह कहानी दरवेश साहेब को सुनाई | उत्तर सपष्ट था | मध्यान्ह आरती के बाद मैं भावार्थ रामायण पड़ने बैठा और बाद में चावड़ी के पास साईं साहेव के दर्शन किए , और बाद में मैं फिर से चावड़ी में शेज आरती पर | फिर हमने भीष्म के भजन और रामज मारूति का अंग -संचालन व भाव मुद्रा देखी | फिर उसके बाद में श्री दीक्षित ने रामायण पड़ी |
जय साईं राम!!!