ॐ साईं राम!!!
२५ दिसम्बर १९११~~~
सुबह प्रार्थना के बाद मैंने सो महाराज के बाहर जाते हुए दर्शन किए और श्री महाजनी और अन्य लोगों के साथ बातचीत करने बैठा | काफी अतिथि चले गए व और बहुत आए , यहाँ सब कुछ अति व्यस्त दिखाई पड़ने लगा | श्री गोवर्धन दास ने रात्रि भोज दिया और यहाँ लगभग हर एक को निमंत्रित किया जो साईं महाराज के दर्शन के लिए आए थे | मेरे बेटे बलवंत को कल रात एक स्वप्न आया जिसमें उसका सोचना है कि उसने साईं महाराज और श्री बापूसाहेब जोग को हमारे एलीचपुर वाले मकान में देखा | उसने साईं महाराज को नैवेद्य अर्पण किया | उसने मुझे सपने के बारे में बतलाया और मैंने इसे केवल काल्पनिक समझा , लेकिन आज उन्होंने बलवंत को बुलाया और कहा , " मैं कल तुम्हारे घर गया और तुमने मुझे खाना खिलाया लेकिन दक्षिणा नहीं दी | अब तुम्हे पच्चीस रूपये देने चाहिए " | इसी लिए बलवंत वापिस अपने ठिकाने में आया और माधवराव देशपांडे केसाथ जा कर दक्षिणा भेंट की | मध्यान्ह आरती में साईं महाराज ने मुझे पड़े और फलों का प्रसाद दिया और मुझे बहुत ही स्पष्ट संकेत कर के झुकाने के लिए कहा | मैंने तुरंत ही साष्टांग प्रणाम किया | आज नाश्ते में बहुत देर को गयी , और शाम चार बजे तक भी पूरा नहीं हुआ , मैंने इसे गोवर्धन दास के साथ , बल्कि कहूँ तो हमारे ठिकाने के पास ही उनके खर्चे से लगे पंडाल में लिया | उसके बाद मुझे बहुत सुस्ती आने लगी और बातचीत करने बैठा | हमने साईं महाराज को शाम को दोनों बार देखा , जब वे रोज की तरह सैर पर निकले और फिर से जब उन्हें भजन शोभा यात्रा केसाथ चावड़ी ले जाया गया | कोंडा जी फकीर की लडकी आज रात चल बसी | उसे हमारे ठिकाने के पास दफनाया गया | भीष्म के अपने भजन हुए और दीक्षित ने रामायण पडी |
जय साईं राम!!!