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Friday, May 21, 2010

Khaparde's Shirdi Diary~~~खापर्डे शिरडी डायरी~~~

ॐ साईं राम!!!

२५  दिसम्बर १९११~~~

सुबह प्रार्थना के बाद मैंने सो महाराज के बाहर जाते हुए दर्शन किए और श्री महाजनी और अन्य लोगों के साथ बातचीत करने बैठा | काफी अतिथि चले गए व और बहुत आए , यहाँ  सब कुछ अति व्यस्त दिखाई पड़ने लगा | श्री गोवर्धन दास ने रात्रि भोज दिया और यहाँ लगभग हर एक को निमंत्रित किया जो साईं महाराज के दर्शन के लिए आए थे | मेरे बेटे बलवंत  को कल रात एक स्वप्न आया जिसमें उसका सोचना है कि उसने साईं महाराज और श्री बापूसाहेब जोग को हमारे एलीचपुर वाले मकान में देखा | उसने साईं महाराज को नैवेद्य अर्पण किया |   उसने मुझे सपने के बारे में बतलाया और मैंने इसे केवल काल्पनिक समझा , लेकिन आज उन्होंने बलवंत को बुलाया और कहा , " मैं कल तुम्हारे घर गया और तुमने मुझे खाना खिलाया लेकिन दक्षिणा नहीं दी | अब तुम्हे पच्चीस रूपये देने चाहिए " | इसी लिए बलवंत वापिस अपने ठिकाने में आया और माधवराव देशपांडे केसाथ जा कर दक्षिणा भेंट की | मध्यान्ह आरती में साईं महाराज ने मुझे पड़े और फलों का प्रसाद दिया और मुझे बहुत ही स्पष्ट संकेत कर के झुकाने के लिए कहा | मैंने तुरंत ही साष्टांग प्रणाम किया | आज नाश्ते में बहुत देर को गयी , और शाम चार बजे तक भी पूरा नहीं हुआ , मैंने इसे गोवर्धन दास के साथ , बल्कि कहूँ तो हमारे ठिकाने के पास ही उनके खर्चे से लगे पंडाल में लिया | उसके बाद मुझे बहुत सुस्ती आने लगी और बातचीत करने बैठा | हमने साईं महाराज को शाम को दोनों बार देखा , जब वे रोज की तरह सैर पर निकले और फिर से जब उन्हें भजन शोभा यात्रा केसाथ चावड़ी ले जाया गया | कोंडा जी फकीर की लडकी आज रात चल बसी | उसे हमारे ठिकाने के पास दफनाया गया | भीष्म के अपने भजन हुए और दीक्षित ने रामायण पडी |

जय साईं राम!!!

Khaparde's Shirdi Diary~~~खापर्डे शिरडी डायरी~~~

ॐ साईं राम!!!

http://sai-ka-aangan.org/religious-books-references/shirdi-diary-(khaparde%27s-daily-diary)-in-hindi-4228/


२४ दिसम्बर १९११~~~

सुबह मैं जल्दी उठ गया और काकड़ आरती में गया | लौट कर मैंने प्रार्थना की और चहलकदमी की | श्री मंत्री को वापस जाने की अनुमति मिल गयी . इसीलिए वे अपने पुरे परिवार के साथ लगभग हर एक को विदा कह कर चले गए | वे बहुत -बहुत भले आदमी हैं | वामन राव पटेल भी चला गया | उसके बाद बड़ी संख्या में दर्शनार्थी भी आए | उन लोगों में अनुसूयाबाई नाम की एक महिला थी | वह अध्यात्मिक रूप से विकसित लगी और साईं महाराज ने उनसे बहुत सम्मानपूर्वक व्यवहार किया और उन्हें चार फल दिए | बाद में उन्होंने एक आदमी की कहानी सुनाई जिसके पांच लड़के थे उनमें से चार ने बंटवारे की मांग की , जो उन्हें मिल गया | इन चार में से दो ने पिता के साथ मिल जाने का निश्चय किया उस पिता ने माँ से इन दोनों में से एक को जहर देने को कहा और उसने उनका कहना मान लिया | दूसरा एक ऊँचे पेड़ से गिर पड़ा | घायल हुआ और मरने ही वाला था लेकिन पिता के द्वारा उसे करीब बारह साल जीने की अनुमति मिली तब तक उसके एक लड़का और एक लडकी हुए और फिर वह मर गया | साईं बाबा ने पांचवे पुत्र के बारे में कुछ नहीं कहा और मुझे यह कहानी अधूरी सी लगी | दोपहर के भोजन के बाद मैं थोड़ी देर लेट गया और फिर रामायण पड़ने बैठा | शाम को रोजाना की तरह हम चावड़ी के सामने साईं साहिब को नमन करने गए और रात को भीष्म के भजन और दीक्षित की रामायण हुई | डा. हाटे अभी भी इधर है और बहुत अच्छे आदमी है | श्री महाजनी भी यहाँ है |

जय साईं राम!!!

Khaparde's Shirdi Diary~~~खापर्डे शिरडी डायरी~~~

ॐ साईं राम!!!

२३ दिसम्बर , १९११ ~~~

मैं सुबह जल्दी उठ गया लेकिन मुझे नींद आ गई और फिर से मैं बहुत देर से उठा | नीचे आने पर मैंने पाया कि शिंगणे उनकी पत्नी और दरवेश साहेब घर जाने की अनुमति पा चुके थे | इसीलिए शिंगणे बंबई और दरवेश साहेब कल्याण चले गए थे | ज़ाहिर है कि दरवेश साहेब आध्यात्मिक रूप से बहुत आगे बड़े हुए हैं क्योंकि साईं महाराज जहां दीवार टूटी हुई है वहां तक उन्हें विदा करने आए | मुझे उनकी बहुत याद आती है क्योकि हम लोगों के बीच लम्बी बातें होती थी | बंबई के सोलीसिटर श्री मंत्री अपने चार भाईयों और बहुत सारे बच्चों के साथ कल आए | वे बहुत ही भले व्यक्ति हैं | और हम बात-चीत करने बैठे | श्री महाजनी जिन्हें मैं पिछले साल मिला था , कल आए और बहुत अच्छे फल और साईं बाबा के लैम्प के लिए कांच के ग्लोब लाए | भयंदर  के श्री गोवर्धन दास भी यहाँ हैं | वे बहुत अच्छे फल चावडी में साईं  महाराज के कक्ष के ले रेशमी पर्दे और जो छत्र , चँवर , पंखें ले जाते है , उन स्वयंसेवियों के लिए नए परिधान लेकर आए | वे बहुत ही धनी कहे जाते हैं | माधव राव देशपांडे मेरी पत्नी व लड़के के बीच दीक्षित वाड़े में रहने के बारे में थोड़ा बेमतलब का मतभेद हुआ | साईं बाबा बोले कि वाड़ा उनका अपना है , और न तो दीक्षित का है और न ही माधव राव का | तो मामला अपने आप सुलझ गया | मैं साईं महाराज के बाहर जाते हुए दर्शन नहीं कर पाया और उनकी मस्जिद में लौटने के बाद मैंने उनका अभिवादन किया | उनहोंने मुझे फल दी और अपनी चिलम से काश दिया | दोपहर में खाने के बाद मैं थोड़ा सोया और फिर आज मिले हुए दैनिक समाचार पत्रों को पड़ने बैठा | वामन राव पटेल ने एल .एल .बी . की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है , डा. हाटे भी इसमें निकल जाते ऐसा मैंने चाहा | साईं महाराज कहते है - उसे बहुत अच्छी खबर मिले गी | टिपणीस ने अपना ठिकाना बदल लिया है और उसकी पत्नी बेहतर है | वह उतनी बेचैन नहीं जैसे पहले रहती थी | राम मारुति बुवा अभी भी यही हैं | हम शेज आरती के लिए गए | शोभा यात्रा बहुत ही प्रभाव पूर्ण थी और नए पर्दे और परिधान भी बहुत सुन्दर लगे | मैंने इसका बहुत आनन्द उठाया | कैसी दयनीय बात है कि इस तरह की कीमती भेंट देना मेरे बस में नहीं है | ईश्वर महान है | रात को भीष्म ने भजन किए और दीक्षित ने रामायण पड़ी |

जय साईं राम!!!

Thursday, May 20, 2010

Khaparde's Shirdi Diary~~~खापर्डे शिरडी डायरी~~~

ॐ साईं राम!!!

२७ दिसम्बर , १९११ ~~~

मैं कल रात ठीक से नहीं सोया लिकिन सुबह जल्दी उठ गया , प्रार्थना की , स्नान किया और बाकी दिनों से जल्दी तैयार हो गया | मध्यान्ह आरती के बाद लगभग तीन बजे मैंने नाश्ता किया और फिर लेट गया और मुझे अच्छी नींद आई | दोपहर में बहुत लोगों ने साईं महाराज से मिलने का प्रयास किया लेकिन उन्हें बात करने की इच्छा नहीं थी , और उन्होंने सभी को वापस भेज दिया | इसीलिए मैं नहीं गया और पड़ने के लिए बैठा | हम सब ने सांझ ढलने पर उनके दर्शन किए जब वे अपनी सैर के लिए निकले और शेज आरती पर | आज भीष्म के भजन अन्य लोगों के द्वारा इसमें गाने के कारण बहुत लम्बे चले | एक मुसलमान नवयुवक ने अपने गीत से मुझे काहीत कर दिया | फिर दीक्षित के द्वारा रामायण हुई |

जय साईं राम!!!

Saturday, May 15, 2010

Sai BABA WORDS OF WISDOM~~~


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~~~Sai BABA WORDS OF WISDOM~~~

"As one grows with Shri Sai, one feels His benevolence and omniscience through their lives" ...
" Once a man seeks refuge with me & says that he is mine , I will save him from all creatures . This is my vow '' .
Shradha mayn't be the result of any rational belief or intellectual wisdom , but a spiritual inspiration . Loving SAI is the path to eternity ...

The most Humble Statement ====== I am nothing without SAI ...

&

The most Powerful Statement ===== With SAI , I can do Everything ...

"Serving Baba and being in love with him is the ultimate reality. I therefore do not seek things like 'Samadhi', emancipation, to be yogi, have miracle powers etc. When the most extraordinary God descends on earth as an ordinary person, how can the ordinary persons try to be extraordinary?" - Shri C.B. Satpathy ji


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Monday, May 3, 2010

Sai BABA WORDS OF WISDOM~~~



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~~~Sai BABA WORDS OF WISDOM~~~
What one earns by residing at Varanasi for 60000 years one gains in half a minute surely by just chanting '' SAI SAI ''.

SAI is Kalpavriksha { कल्पवृक्ष } , the Kamadhenu { कामधेनू } & the Chintamani { चिंतामणि } . Always take SAI'S NAME...
There is one thing in the Universe Sai hasn't made & sai can't make; & thats sorrow. Its not His making. Its our making.
Longevity , Wisdom , Fame & Strength , Grow & Develop in one who is always prostrating to & serving Samarth Sadguru Sainath Maharaj...
Thundering forth " SAI " " SAI " burns out the seeds of Rebirth , procures all wealth & threatens Death's myrmidons ...

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Sai BABA WORDS OF WISDOM~~~


angelicangelicangelic
~~~Sai BABA WORDS OF WISDOM~~~
 Go & enter straight into your heart & live with SAI . He is our mother , He knows our hunger & feeds us forever   


No God ; 
No Peace .
Know God ;
Know Peace .
SAI is here ;
SAI is there ;
SAI is everywhere ...

"Spreading Happiness through Happiness is the religion of Sai BABA" 
Love is the flower that SAI longs for . Mix it up with devotion & chant the name of SAI... 
" Times are degenerating . People mostly think ill of others . People have become more & more sceptical ;  they look more at the evil side of things . Fakirs are also seldom dispassionate . It is hard to find a good fakir ". 

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