ॐ साईं राम!!!
२३ दिसम्बर , १९११ ~~~
मैं सुबह जल्दी उठ गया लेकिन मुझे नींद आ गई और फिर से मैं बहुत देर से उठा | नीचे आने पर मैंने पाया कि शिंगणे उनकी पत्नी और दरवेश साहेब घर जाने की अनुमति पा चुके थे | इसीलिए शिंगणे बंबई और दरवेश साहेब कल्याण चले गए थे | ज़ाहिर है कि दरवेश साहेब आध्यात्मिक रूप से बहुत आगे बड़े हुए हैं क्योंकि साईं महाराज जहां दीवार टूटी हुई है वहां तक उन्हें विदा करने आए | मुझे उनकी बहुत याद आती है क्योकि हम लोगों के बीच लम्बी बातें होती थी | बंबई के सोलीसिटर श्री मंत्री अपने चार भाईयों और बहुत सारे बच्चों के साथ कल आए | वे बहुत ही भले व्यक्ति हैं | और हम बात-चीत करने बैठे | श्री महाजनी जिन्हें मैं पिछले साल मिला था , कल आए और बहुत अच्छे फल और साईं बाबा के लैम्प के लिए कांच के ग्लोब लाए | भयंदर के श्री गोवर्धन दास भी यहाँ हैं | वे बहुत अच्छे फल चावडी में साईं महाराज के कक्ष के ले रेशमी पर्दे और जो छत्र , चँवर , पंखें ले जाते है , उन स्वयंसेवियों के लिए नए परिधान लेकर आए | वे बहुत ही धनी कहे जाते हैं | माधव राव देशपांडे मेरी पत्नी व लड़के के बीच दीक्षित वाड़े में रहने के बारे में थोड़ा बेमतलब का मतभेद हुआ | साईं बाबा बोले कि वाड़ा उनका अपना है , और न तो दीक्षित का है और न ही माधव राव का | तो मामला अपने आप सुलझ गया | मैं साईं महाराज के बाहर जाते हुए दर्शन नहीं कर पाया और उनकी मस्जिद में लौटने के बाद मैंने उनका अभिवादन किया | उनहोंने मुझे फल दी और अपनी चिलम से काश दिया | दोपहर में खाने के बाद मैं थोड़ा सोया और फिर आज मिले हुए दैनिक समाचार पत्रों को पड़ने बैठा | वामन राव पटेल ने एल .एल .बी . की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है , डा. हाटे भी इसमें निकल जाते ऐसा मैंने चाहा | साईं महाराज कहते है - उसे बहुत अच्छी खबर मिले गी | टिपणीस ने अपना ठिकाना बदल लिया है और उसकी पत्नी बेहतर है | वह उतनी बेचैन नहीं जैसे पहले रहती थी | राम मारुति बुवा अभी भी यही हैं | हम शेज आरती के लिए गए | शोभा यात्रा बहुत ही प्रभाव पूर्ण थी और नए पर्दे और परिधान भी बहुत सुन्दर लगे | मैंने इसका बहुत आनन्द उठाया | कैसी दयनीय बात है कि इस तरह की कीमती भेंट देना मेरे बस में नहीं है | ईश्वर महान है | रात को भीष्म ने भजन किए और दीक्षित ने रामायण पड़ी |
जय साईं राम!!!