ॐ साईं राम!!!
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२४ दिसम्बर १९११~~~
सुबह मैं जल्दी उठ गया और काकड़ आरती में गया | लौट कर मैंने प्रार्थना की और चहलकदमी की | श्री मंत्री को वापस जाने की अनुमति मिल गयी . इसीलिए वे अपने पुरे परिवार के साथ लगभग हर एक को विदा कह कर चले गए | वे बहुत -बहुत भले आदमी हैं | वामन राव पटेल भी चला गया | उसके बाद बड़ी संख्या में दर्शनार्थी भी आए | उन लोगों में अनुसूयाबाई नाम की एक महिला थी | वह अध्यात्मिक रूप से विकसित लगी और साईं महाराज ने उनसे बहुत सम्मानपूर्वक व्यवहार किया और उन्हें चार फल दिए | बाद में उन्होंने एक आदमी की कहानी सुनाई जिसके पांच लड़के थे उनमें से चार ने बंटवारे की मांग की , जो उन्हें मिल गया | इन चार में से दो ने पिता के साथ मिल जाने का निश्चय किया उस पिता ने माँ से इन दोनों में से एक को जहर देने को कहा और उसने उनका कहना मान लिया | दूसरा एक ऊँचे पेड़ से गिर पड़ा | घायल हुआ और मरने ही वाला था लेकिन पिता के द्वारा उसे करीब बारह साल जीने की अनुमति मिली तब तक उसके एक लड़का और एक लडकी हुए और फिर वह मर गया | साईं बाबा ने पांचवे पुत्र के बारे में कुछ नहीं कहा और मुझे यह कहानी अधूरी सी लगी | दोपहर के भोजन के बाद मैं थोड़ी देर लेट गया और फिर रामायण पड़ने बैठा | शाम को रोजाना की तरह हम चावड़ी के सामने साईं साहिब को नमन करने गए और रात को भीष्म के भजन और दीक्षित की रामायण हुई | डा. हाटे अभी भी इधर है और बहुत अच्छे आदमी है | श्री महाजनी भी यहाँ है |
जय साईं राम!!!