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Wednesday, February 1, 2012

ॐ साईं राम!!!

२ जनवरी , १९१२~~~


मैं सुबह बहुत जल्दी उठ गया |उपासनी के भी जो कल आए थे आज दिन निकलने से पहले चले गए |मेरे प्रार्थना समाप्त करने के बाद काका महाजनी , अत्रे और एनी लोग गए| कुछ और लोग बाद में गए| सी.बी.वैद्य एनी तीन सज्जनों के साथ दोपहर की आरती के बाद गए | नाना साहेब चांदोरकर ने धर्नुमास {अधिकमास का अनुष्ठान } किया जिसमें सभी आमंत्रित थे | भोजन के बाद सी.बी .वैद्य गए , कोपर गाँव के मामलेदार मांकर और दहाणु के मामलेदार देव भी फिर रवाना हुए | बाद में सूर्यास्त के बाद नाना साहेब चांदोरकर अपने पुरे परिवार सहित गए | इसीलिए वाड़ा जो इन कुछेक दिनों में भरा और बहुत खुशहाल दिखलाई पड़ता था अब खाली सा लगता हैं और हमें साथ की कमी महसूस होती है | हमने साईं महाराज के जब वे सैर के लिए बाहर निकले तब दर्शन किए और फिर से शेज आरती पर | मेरा पुत्र बाबा और गोपालराव दोरले आज सुबह मुझे अमरावती ले जाने के लिए आए | मैनें कहा कि मेरा जाना साईं महाराज की अनुमति पर जाना निर्भर है | वे साईं महाराज से मिले और कहा कि आज्ञा मिलने में कोइ कठिनाई नहीं है | भीष्म आज ठीक नहीं हैं , इसलिए भजन नहीं हुए | राम मारुति ने आज जाना चाहा केलिन साईं महाराज ने उसे रोक लिया | रात में रामायण और भागवत का पाठ हुआ |


जय साईं राम!!!