ॐ साईं राम!!!
२६ दिसम्बर १९११~~~
मैं जल्दी उठ गया और काकड़ आरती में सम्मिलित हुआ , साईं महाराज कुछ असामान्य भाव में थे , उन्होंने अपना सटका लिया और उससे चारों तरफ की जमीन को ठोक कर देखा | जब तक वे चावड़ी की सीड़ियों से उतरे दो बार वे पीछे और आगे गए और उग्र भाषा का प्रयोग किया | लौट कर मैंने प्रार्थना की , स्नान किया और अपने कमरे के सामने वाए बरामदे में बैठा | मैंने साईं महाराज के बाहर जाते हुए दर्शन किए | श्री गोखले आए जो पुणे में वकील है वे मेरी पत्नी से शेंगांव में पहले मिले है जब गणपति बाबा इस भोतिक संसार में कार्य कर रहे थे | उनके साथ भारतीय खिलौनों का एक विक्रेता और कोइ अन्य था | वे मुझे मध्यान्ह आरती के बाद मिले जब मैं भोजन कर चुका था | मैं दिन के तीसरे पहर में थोड़ी देर के लिए लेट गया और फिर महाजनी , डा.हाटे और अन्य लोगों के साथ बातचीत करने बैठा | हमने साईं महाराज को दोपहर में चावड़ी में देखा और सांझ ठलने पर जब वे सैर पर निकले , तब वे बड़े की कृपालु हुए | आज उन्होंने मेरे पुत्र बलवंत से बात की और बाकी सभी को चले जाने के लिए कहने के बाद भी उसे बैठाए रखा | उन्होंने उसे किसी भी मेहमान से मिलाने के लिए मना किया और उनका ध्यान रखने के लिए कहा और इसके बदले में { साईं बाबा } उसका ध्यान रखे गे | माधव राव देशपांडे बीमार है उन्हें बहुत जुकाम है और अगर उन्हें वास्तव में बिस्तर में पड़े हुए न भी माना जाए तो भी वे बहुत देर से लेटे हुए है | शाम को और दिनों की ही तरह भीष्म के भजन हुए और उसके बाद दीख्सित की रामायण | श्री भाटे भी वहां पुराण सुनने के लिए उपस्थित थे | आज हमने सुन्दर काण्ड आरम्भ किया |
जय साईं राम!!!