ॐ साईं राम
शिरडी डायरी और श्रीमति लक्ष्मीबाई गणेश खापर्डे-
परिशिष्ट -२
वी॰बी॰ खेर-
श्रीमति लक्ष्मीबाई गणेश खापर्डे श्री साईं बाबा की प्रिय और शक्तिपात प्राप्त भक्त थीं। उनके श्री साईं के साथ ऋणानुबन्ध और साईं के हाथों शक्तिपात प्राप्त करने की कथा श्री साईं सत्चरित्र के सर्ग २७ के पद १३९- १६९ में उल्लिखित है।
इसी प्रकार सर्ग ७ के पद ११०- ११० में कथा प्राप्त होती है कि किस प्रकार उनके प्लेग से ग्रस्त पुत्र की कार्मिक पीड़ा को अपने ऊपर ले कर बाबा ने उन्हें सभी चिन्ताओं से मुक्त किया था।
हम पहले इन कथाओं का वर्णन करेंगें और फिर देखेंगे कि शिरडी डायरी में इन घटनाओं का उल्लेख किस प्रकार किया गया और दूसरे अन्य विषय जिनका उल्लेख श्री साईं सत्चरित्र में नहीं मिलता, उनका विशलेषण किया जाएगा। तत्पश्चात हम उनके जीवन की रूपरेखा का उनकी मृत्यु के समय तक अनुरेखण करेंगे, जो कि पाठकों को अति हृदयग्राही प्रतीत होगी। उनका अँत ना केवल शाँतिपूर्ण था अपितु उन्हें अपने सदगुरू श्री साईं बाबा के दर्शन का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। इससे बड़ा सुख एक साईं भक्त के लिए और हो भी क्या सकता है? अब हम उनके ऋणानुबन्ध और शक्तिपात,की कथा से प्रारँभ करते हैं॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
आगे जारी रहेगा॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
जय साईं राम
शिरडी डायरी और श्रीमति लक्ष्मीबाई गणेश खापर्डे-
परिशिष्ट -२
वी॰बी॰ खेर-
श्रीमति लक्ष्मीबाई गणेश खापर्डे श्री साईं बाबा की प्रिय और शक्तिपात प्राप्त भक्त थीं। उनके श्री साईं के साथ ऋणानुबन्ध और साईं के हाथों शक्तिपात प्राप्त करने की कथा श्री साईं सत्चरित्र के सर्ग २७ के पद १३९- १६९ में उल्लिखित है।
इसी प्रकार सर्ग ७ के पद ११०- ११० में कथा प्राप्त होती है कि किस प्रकार उनके प्लेग से ग्रस्त पुत्र की कार्मिक पीड़ा को अपने ऊपर ले कर बाबा ने उन्हें सभी चिन्ताओं से मुक्त किया था।
हम पहले इन कथाओं का वर्णन करेंगें और फिर देखेंगे कि शिरडी डायरी में इन घटनाओं का उल्लेख किस प्रकार किया गया और दूसरे अन्य विषय जिनका उल्लेख श्री साईं सत्चरित्र में नहीं मिलता, उनका विशलेषण किया जाएगा। तत्पश्चात हम उनके जीवन की रूपरेखा का उनकी मृत्यु के समय तक अनुरेखण करेंगे, जो कि पाठकों को अति हृदयग्राही प्रतीत होगी। उनका अँत ना केवल शाँतिपूर्ण था अपितु उन्हें अपने सदगुरू श्री साईं बाबा के दर्शन का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। इससे बड़ा सुख एक साईं भक्त के लिए और हो भी क्या सकता है? अब हम उनके ऋणानुबन्ध और शक्तिपात,की कथा से प्रारँभ करते हैं॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
आगे जारी रहेगा॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
जय साईं राम