OM SRI SAI NATHAYA NAMAH. Dear Visitor, Please Join our Forum and be a part of Sai Family to share your experiences & Sai Leelas with the whole world. JAI SAI RAM

Saturday, August 25, 2012

ॐ साईं राम


लक्ष्मीबाई पुष्ट और स्वस्थ थीं पर वर्ष १९२८ से उनकी सेहत खराब होनी शुरू हो गई थी। उन्हें बुखार और श्वास रोग के दौरे आते थे और साथ ही घुटनों में दर्द भी रहता था। फलतः वह चल नहीं पाती थीं। दादा साहेब की डायरी की ३०-४-१९२८ की प्रविष्टि से पता चलता है कि उन्हें तेज़ सर दर्द और बुखार था। इसके बाद उनकी सेहत तेज़ी से खराब हो गई और दवाइयों ने असर करना बँद कर दिया। उन्हें शायद आने वाले घटनाक्रम का आभास हो गया था। उन्होंने सुझाव दिया कि सपरिवार एक चित्र खींचा जाना चाहिए। ११ जुलाई १९२८ को यह चित्र खींचा गया। इसके बाद एक मर्मस्पर्शी दृश्य उत्त्पन्न हुआ, जिसे दादा साहेब के शब्दों में सही प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है। मराठी में लिखी दादा साहेब की जीवनी में जो कहा गया है, उसका अनुवाद इस प्रकार है-


" दोपहर के भोजन के एकदम पूर्व जब मैं सँध्या ( ध्यान ) पर बैठा था , तब मेरी पत्नि आई और उसने मेरी पूजा उसी प्रकार की जिस प्रकार एक मूर्ति की करी जाती है। मैं व्याकुल हुआ और मैंनें उससे पूछा कि वह ऐसा क्यूँ कर रही है जबकि उसने इतने वर्षों में ऐसा कभी नहीं किया है। उसने कहा कि- "मैं इस दुनिया से शाँतिपूर्वक तरीके से जाना चाहती हूँ।" मुझे लगता है कि क्योंकि वह बहुत दिनों से बीमार है इसलिए उसने बचने की सभी उम्मीदें छोड़ दी हैं। मैंने उसे कहा कि उसे भगवान पर भरोसा रखना चाहिए और उसकी इच्छा पर सब छोड़ देना चाहिए।"


जय साईं राम