ॐ साईं राम
जी॰ एस खापर्डे की डायरी में एक प्रविष्टि में कहा गया है कि इस "दोहेल जेवान" के कारण दोपहर के भोजन में देर हुई। गृह कार्यों को पूर्ण करते हुए वे शायद ही कभी क्रोधित हुई हों, तो भी उनका एक भय सा था और अगर कभी उन्हें उकसाया गया होता तो परिवार में किसी का साहस नहीं था कि उनका विरोध कर सके।
लक्ष्मीबाई को देसी दवाईयों का भी ज्ञान था। विशेषतः पीलिया के लिए उनके पास एक अचूक दवाई थी जो उनकी सास के द्वारा उन्हें पारिवारिक परम्परा से प्राप्त हुई थी। उसकी केवल एक खुराक से पीलिया ठीक हो जाता था। यह तथ्य आस पास के इलाकों में अनेकों को पता था और औसतन तीन से चार लोग उनके पास इस दवाई के लिए आते थे और वह उन्हें धर्मार्थ ( बिना मूल्य लिए ) वितरित की जाती थी। यह औषधि परिवार में लक्ष्मीबाई के द्वारा अपनी बहू को प्रदान की गई।
जय साईं राम
जी॰ एस खापर्डे की डायरी में एक प्रविष्टि में कहा गया है कि इस "दोहेल जेवान" के कारण दोपहर के भोजन में देर हुई। गृह कार्यों को पूर्ण करते हुए वे शायद ही कभी क्रोधित हुई हों, तो भी उनका एक भय सा था और अगर कभी उन्हें उकसाया गया होता तो परिवार में किसी का साहस नहीं था कि उनका विरोध कर सके।
लक्ष्मीबाई को देसी दवाईयों का भी ज्ञान था। विशेषतः पीलिया के लिए उनके पास एक अचूक दवाई थी जो उनकी सास के द्वारा उन्हें पारिवारिक परम्परा से प्राप्त हुई थी। उसकी केवल एक खुराक से पीलिया ठीक हो जाता था। यह तथ्य आस पास के इलाकों में अनेकों को पता था और औसतन तीन से चार लोग उनके पास इस दवाई के लिए आते थे और वह उन्हें धर्मार्थ ( बिना मूल्य लिए ) वितरित की जाती थी। यह औषधि परिवार में लक्ष्मीबाई के द्वारा अपनी बहू को प्रदान की गई।
जय साईं राम