ॐ साई राम
शिरडी डायरी में उपरोक्त घटनाक्रम का उल्लेख ४-३-१९१२ की प्रविष्टि में मिलता है और उसे इन थोड़े शब्दों में बताया गया है- " मेरी पत्नि को साईं साहेब की पूजा करने के लिए जाने में देर हुई, लेकिन साईं साहेब ने अत्यँत कृपा पूर्वक अपना भोजन बीच में ही रोक कर उसे पूजा करने दी। "
श्री साईं लीला के प्रारम्भिक अँकों में स्वामी साईंशरण आनन्द ने उपरोक्त घटना का उल्लेख करते हुए इस प्रकार कहा है- " बाबा के स्पर्श का अनुभव भक्तों को उस समय होता था जब बाबा उन्हें ऊदी प्रदान करते थे, या बाबा उन्हें अपने चरण स्पर्श करने या दबाने की अनुमति देते थे। यहाँ भी वे सभी को एक समान स्पर्श नहीं करते थे या करने देते थे। जब उनकी इच्छा अपने किसी भक्त को कोई निर्देश देने की होती तब वे भक्त को उसकी श्रद्धा और भाव के अनुसार ही उन्हें स्पर्श करने देते या रोकते थे। जब उनकी इच्छा माननीय श्री जी॰एस॰खापर्डे की पत्नि को 'राजाराम' का मन्त्र जाप करने का उपदेश देने की हुई तब उन्होंने ना केवल दोपहर के समय महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश ना करने देने के नियम की अवहेलना करके उन्हें अँदर आने दिया अपितु उनके द्वारा लाए हुए नेवैद्य को स्वीकार और ग्रहण किया, तथा अपने चरण सीधे कर उन्हें दबाने की अनुमति दी तथा साथ ही साथ उनके (श्रीमति खापर्डे) के हाथ दबा कर उन्हें धीमें से कहा-" राजाराम राजाराम का जाप किया करो। "
स्वामी साईं शरण आनन्द के द्वारा इस घटना का उल्लेख यह दर्शाता है कि बाबा के हृदय में श्रीमति खापर्डे के लिए कितना सम्मान था।
आगे जारी रहेगा॰॰॰॰
जय साईं राम
शिरडी डायरी में उपरोक्त घटनाक्रम का उल्लेख ४-३-१९१२ की प्रविष्टि में मिलता है और उसे इन थोड़े शब्दों में बताया गया है- " मेरी पत्नि को साईं साहेब की पूजा करने के लिए जाने में देर हुई, लेकिन साईं साहेब ने अत्यँत कृपा पूर्वक अपना भोजन बीच में ही रोक कर उसे पूजा करने दी। "
श्री साईं लीला के प्रारम्भिक अँकों में स्वामी साईंशरण आनन्द ने उपरोक्त घटना का उल्लेख करते हुए इस प्रकार कहा है- " बाबा के स्पर्श का अनुभव भक्तों को उस समय होता था जब बाबा उन्हें ऊदी प्रदान करते थे, या बाबा उन्हें अपने चरण स्पर्श करने या दबाने की अनुमति देते थे। यहाँ भी वे सभी को एक समान स्पर्श नहीं करते थे या करने देते थे। जब उनकी इच्छा अपने किसी भक्त को कोई निर्देश देने की होती तब वे भक्त को उसकी श्रद्धा और भाव के अनुसार ही उन्हें स्पर्श करने देते या रोकते थे। जब उनकी इच्छा माननीय श्री जी॰एस॰खापर्डे की पत्नि को 'राजाराम' का मन्त्र जाप करने का उपदेश देने की हुई तब उन्होंने ना केवल दोपहर के समय महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश ना करने देने के नियम की अवहेलना करके उन्हें अँदर आने दिया अपितु उनके द्वारा लाए हुए नेवैद्य को स्वीकार और ग्रहण किया, तथा अपने चरण सीधे कर उन्हें दबाने की अनुमति दी तथा साथ ही साथ उनके (श्रीमति खापर्डे) के हाथ दबा कर उन्हें धीमें से कहा-" राजाराम राजाराम का जाप किया करो। "
स्वामी साईं शरण आनन्द के द्वारा इस घटना का उल्लेख यह दर्शाता है कि बाबा के हृदय में श्रीमति खापर्डे के लिए कितना सम्मान था।
आगे जारी रहेगा॰॰॰॰
जय साईं राम