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Thursday, June 28, 2012


ॐ साईं राम

२७ जुलाई, शनिवार, १९१२-
नागपुर-

मैं प्रातः उठा और बगीचे में घूमते हुए अपनी प्रार्थना की। वहाँ रुक रुक कर बारिश हो रही थी और मुझे या तो एक वृक्ष के नीचे या बरामदे में शरण लेनी पड़ती थी। जब मैं नहा रहा था तब श्री नीलकँठ राव उद्धवजी श्रीमान पँडित तथा उनके गोद लिए पुत्र के साथ आए और हमने बैठ कर बात की। वह मेरी शिरडी यात्रा और वहाँ ठहरने के ब्यौरे के बारे में जानने को अति उत्सुक हैं, और बातचीत स्वाभाविक रूप से साईं महाराज के बारे में हुई।

उन्होंने ने मुझे, गोपालराव बूटी, और दोरले को कल दोपहर के भोजन के लिए आमँत्रित किया । हमने इस शर्त पर आमँत्रण स्वीकार कर लिया कि वह सुबह के नाशते के लिए हमारे साथ रुकें और उन्होंने वैसा किया भी। भोजन देर से हुआ और उसके बाद मैं लेट गया, तभी उठा जब भगीरथ प्रसाद, बल्लाल और नारायण राव आलेकर के आने पर मुझे उठाया गया। हमने बैठ कर बात की। श्रीमान नीलकँठ राव आलेकर के साथ चले गए।

बाद में मैं दोरले और भैरुलाल, जो आज आए थे, उनके साथ डा॰ मूँजे के घर गया। हम बहुत से दोस्तों के साथ बैठ कर बात करते रहे और फिर राम मँदिर के कीर्तन में गए। वह किसी घुले ने किया परन्तु प्रस्तुति बुरी थी। हम डा॰ मूँजे के घर में सोए।

जय साईं राम