ॐ साईं राम
२६ फरवरी, सोमवार, १९१२
मैंने काँकड आरती में भाग लिया। साईं बाबा बिना कुछ विशेष कहे मस्जिद में गए। नासिक की महिलाऐं आज सुबह वापिस चली गईं। उसके बाद हमने अपनी सँगत की और साईं बाबा के बाहर जाते हुए और जब वे मस्जिद वापिस लौटे तब दर्शन किए। उन्होंने अपने भाई के बारे में एक कहानी सुनाई जिसने एक बार अभद्र व्यवहार किया और इस कारण उसे जाति से बाहर कर दिया गया।
दोपहर की आरती रोज़ की तरह सम्पूर्ण हुई और दोपहर के भोजन के बाद मैं थोडी देर लेटा और फिर हमने पँचदशी की सँगत को आगे बढाया। पूना से कोई एक श्रीमान दातार अपने पुत्र के साथ जो कि अधिवक्ता प्रतीत होता है,आए हैं। वे हॅाल में ठहरे हैं।
हम साईं साहेब की सैर के समय उनके दर्शन के लिए मस्जिद में गए। वाड़ा आरती के बाद भागवत और दासबोध का पाठ हुआ और भजन हुए जिसमें श्रीमति कौजल्गी और सोनूबाई ने साथ दिया।
जय साईं राम
२६ फरवरी, सोमवार, १९१२
मैंने काँकड आरती में भाग लिया। साईं बाबा बिना कुछ विशेष कहे मस्जिद में गए। नासिक की महिलाऐं आज सुबह वापिस चली गईं। उसके बाद हमने अपनी सँगत की और साईं बाबा के बाहर जाते हुए और जब वे मस्जिद वापिस लौटे तब दर्शन किए। उन्होंने अपने भाई के बारे में एक कहानी सुनाई जिसने एक बार अभद्र व्यवहार किया और इस कारण उसे जाति से बाहर कर दिया गया।
दोपहर की आरती रोज़ की तरह सम्पूर्ण हुई और दोपहर के भोजन के बाद मैं थोडी देर लेटा और फिर हमने पँचदशी की सँगत को आगे बढाया। पूना से कोई एक श्रीमान दातार अपने पुत्र के साथ जो कि अधिवक्ता प्रतीत होता है,आए हैं। वे हॅाल में ठहरे हैं।
हम साईं साहेब की सैर के समय उनके दर्शन के लिए मस्जिद में गए। वाड़ा आरती के बाद भागवत और दासबोध का पाठ हुआ और भजन हुए जिसमें श्रीमति कौजल्गी और सोनूबाई ने साथ दिया।
जय साईं राम