ॐ साईं राम
२५ फरवरी, रविवार, १९१२-
मैं प्रातः जल्दी उठा, प्रार्थना की और श्रीमान माधवराव देशपाँडे को शिरडी से नागपुर जाते हुए मिला। वह वहाँ से नाना साहेब चाँदोरकर के पुत्र कि विवाह के लिए ग्वालियर चले जाऐंगे और वापसी में कई धार्मिक स्थानों - बनारस इलाहाबाद, गया मथुरा और अन्य जगहों को देखते हुए वापस आऐंगे। हमने अपनी पँचदशी के पाठ की सँगत की परन्तु उपासनी अस्वस्थ लग रहे थे इस लिए हमारी प्रगति धीमी थी।
हमने दोपहर की आरती में हिस्सा लिया और उसके बाद पँचदशी की सँगत पुनः शुरू की और कुछ प्रगति भी की। शाम को वाड़ा आरती के बाद हम शेज आरती में भी सम्मिलित हुए, उसके बाद भीष्म ने दासबोध का पाठ किया।
जय साईं राम
२५ फरवरी, रविवार, १९१२-
मैं प्रातः जल्दी उठा, प्रार्थना की और श्रीमान माधवराव देशपाँडे को शिरडी से नागपुर जाते हुए मिला। वह वहाँ से नाना साहेब चाँदोरकर के पुत्र कि विवाह के लिए ग्वालियर चले जाऐंगे और वापसी में कई धार्मिक स्थानों - बनारस इलाहाबाद, गया मथुरा और अन्य जगहों को देखते हुए वापस आऐंगे। हमने अपनी पँचदशी के पाठ की सँगत की परन्तु उपासनी अस्वस्थ लग रहे थे इस लिए हमारी प्रगति धीमी थी।
हमने दोपहर की आरती में हिस्सा लिया और उसके बाद पँचदशी की सँगत पुनः शुरू की और कुछ प्रगति भी की। शाम को वाड़ा आरती के बाद हम शेज आरती में भी सम्मिलित हुए, उसके बाद भीष्म ने दासबोध का पाठ किया।
जय साईं राम