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Saturday, May 12, 2012

ॐ साईं राम!!!

१३ फरवरी , १९१२~~~


श्री दीक्षित ने रामायण पड़ी और फिर हम मस्जिद गए | जैसे ही मैं अन्दर गया साईं महाराज ने मुझे उदी दी तो मैं उत्कंठित हो उठा कि यह मुझे जाने के लिए संकेत है| इस पर वे बोले " तुम्हे जाने के लिए कौन कहता है ??? बैठ जाओ !! "
इसके बाद वे आनन्दित होकर बात करने बैठे कि जो गाय अभी दीक्षित के पास है वे मूल रूप से म्हल्सापति की थी | फिर वह औरंगाबाद गई , फिर जालना और अब श्री दीक्षित की सम्पत्ति बन कर लौट आयी है | भगवान जाने यह
किस की सम्पत्ति है | मेरी तरफ उन्होंने देखते हुए कहा _ " ऐसा कोइ भी नहीं है जिसका ईश्वर पर विश्वास हो और उसे किसी चीज़ की कमी हो |"
मेरी पत्नी और अन्य लोग वहां थे |हम सब ने शाम को सैर पर उनके दर्शन किए | फिर वाड़ा में आरती हुई और बाद में शेज आरती | रात को भीष्म ने भजन किए और श्री दीक्षित ने रामायण पड़ी | आज साईं बाबा ने मध्याह्न आरती और शेज आरती दोनों के बाद विशेषकर मुझे मेरे नाम से बुला कर वाड़ा जाने के लिए कहा |


जय साईं राम!!!