ॐ साईं राम
८ जनवरी १९१२-
आज सुबह उठा तो लगा कि अभी तो बहुत जल्दी है इसलिए फिर से सो गया और कुछ ज़्यादा ही सोया रहा। फलतः पूरी दिनचर्या प्रभावित हुई। प्रार्थना के बाद मैंने बापू साहेब जोग, उपासनी, राम मारूति और माधवराव देशपाँडे के साथ रँगनाथ की योग वशिष्ट पढी। हमने साईं महाराज को बाहर जाते हुए और फिर वापिस आते हुए देखा।
दोपहर की आरती के बाद साईं महाराज अचानक अत्याधिक क्रोधित लगे। वे उग्र भाषा का प्रयोग भी कर रहे थे। ऐसा लगता है कि यहाँ प्लेग के फिर से फैलने की सँभावना है और साईं महाराज उसे ही रोकने का प्रयास कर रहे हैं। भोजन के बाद हम कुछ देर वार्तालाप करते रहे। मैंने थोडी देर रामायण पढी। फिर कोपरगाँव के मामलेदार श्री सेन धूलिया के उप जिलाधीश श्री धूलिया के साथ आए। रामायण का एक अध्याय पढने के बाद हम साईं महाराज के दर्शन के लिए गए। साईं महाराज रोज़ की भाँति सैर के लिए गए थे, अतः हमने काफी देर उनका इंतज़ार किया। हम शेज आरती में सम्मिलित हुए। रात को रोज़ की भाँति भजन और रामायण हुई।
जय साईं राम
८ जनवरी १९१२-
आज सुबह उठा तो लगा कि अभी तो बहुत जल्दी है इसलिए फिर से सो गया और कुछ ज़्यादा ही सोया रहा। फलतः पूरी दिनचर्या प्रभावित हुई। प्रार्थना के बाद मैंने बापू साहेब जोग, उपासनी, राम मारूति और माधवराव देशपाँडे के साथ रँगनाथ की योग वशिष्ट पढी। हमने साईं महाराज को बाहर जाते हुए और फिर वापिस आते हुए देखा।
दोपहर की आरती के बाद साईं महाराज अचानक अत्याधिक क्रोधित लगे। वे उग्र भाषा का प्रयोग भी कर रहे थे। ऐसा लगता है कि यहाँ प्लेग के फिर से फैलने की सँभावना है और साईं महाराज उसे ही रोकने का प्रयास कर रहे हैं। भोजन के बाद हम कुछ देर वार्तालाप करते रहे। मैंने थोडी देर रामायण पढी। फिर कोपरगाँव के मामलेदार श्री सेन धूलिया के उप जिलाधीश श्री धूलिया के साथ आए। रामायण का एक अध्याय पढने के बाद हम साईं महाराज के दर्शन के लिए गए। साईं महाराज रोज़ की भाँति सैर के लिए गए थे, अतः हमने काफी देर उनका इंतज़ार किया। हम शेज आरती में सम्मिलित हुए। रात को रोज़ की भाँति भजन और रामायण हुई।
जय साईं राम