Khaparde's Shirdi Diary~~~खापर्डे शिरडी डायरी~~~
शिरडी में दूसरा लंबा वास्तव्य ~~~६ दिसम्बर , १९११~~~
जैसे ही मेरा तांगा श्री दीक्षित द्वारा नवनिर्मित वाडे के पास पहुँचा पहले व्यक्ति जिनसे मेरी भेंट हुई वे थे श्री माधवराव देशपांडे | मेरे टाँगे से उतरने से पहले ही श्री दीक्षित ने आज रात मुझे आज रात अपने साथ भोजन करने के लिए कहा | उसके बाद मैं माधव राव के साथ साईं महाराज के प्रति अभिवादन करने के लिए गया और थोड़ी दूर से उन्हें प्रणाम किया | उस समय वे हाथ -पैर धो रहे थे | फिर मैं नहाने-धोने और पूजा करने में व्यस्त हो गया और वे जब बाहर निकले तब उन्हें प्रणाम नहीं कर सका | बाद में हम लोग एक साथ उनके पास गए और मस्जिद में एक साथ उनके पास गए और मस्जिद में उनके पास बैठे | उन्होंने एक ऐसे फकीर की कहानी सुनाई जिसे अच्छे पकवानों का शौक था | इस फकीर को एक बार किसी रात्रि भोज पर आमंत्रित किया गया और वे साईं महाराज के साथ गए | निकलते समय फकीर की पत्नी ने साईं महाराज को उस भोज से कुछ खाना लाने के लिए कहा और इसके लिए एक बर्तन दिया | फकीर ने इतना जम कर खाया कि फिर उसी जगह पर सो जाने का फैसला किया | साईं महाराज रोटियाँ अपनी पीठ पर बाँधकर और रसदार भोज्य पदार्थ वाले बर्तन को अपने सर पर उठाए वापिस निकले | उन्हें रास्ता बहुत ही लंबा लगा | वे रास्ता भूल गए | कुछ देर आराम करने के लिए एक मांग वाड़े के पास बैठ गए | कुत्ते भौकने लगे, वे उठे और अपने गाँव लौट आए और रोटी व् भोज्य पदार्थ फकीर की पत्नी को दे दिया | तब तक फकीर भी लौट आए और उन सब ने एक साथ बहुत अच्छा भोजन किया | उन्होंने आगे कहा कि एक अच्छे फकीर का मिलना बहुत कठिन है |श्री साथे जिन्होंने वह वाड़ा बनवाया जिसमें मैं पिछले साल रहा था , भी आए हुए है , और मैंने उन्हें पहले मस्जिद में देखा और फिर रात्रि भोज पर | श्री दीक्षित ने बहुत सारे लोगों को भोजन कराया | उनमें श्री ठोसर भी हैं , जो सवर्गीय माधव राव गोविन्द रानाडे की बहिन के पुत्र हैं | ठोसर बंबई के कस्टम कार्यालय में नौकरी करते है | वे बहुत भले आदमी हैं और हम बात करने बैठे | वहां पर एक सज्जन नासिक से हैं और एनी कई लोग हैं | उनमें से एक टिपणीस सपत्नी आए हैं | और वे अपनी पत्नी को पुत्र-प्राप्ति की याचना के लिए लाए हैं| बापूसाहेब जोग यहाँ हैं, और उनकी पत्नी की तबीयत ठीक हैं | श्री नूलकर अब जीवित नहीं हैं और मैं उन्हें बहुत याद करता हूँ | उनके परिवार का यहाँ कोइ नहीं हैं | बाला साहेब भाटे यहाँ हैं और उनकी पत्नी ने दत्त जयन्ती के दिन एक पुत्र को जन्म दिया | हम लोग दीक्षित वाड़े में ठहरे हैं जो बहुत सुविधाजनक है |
जय साईं राम!!!