ॐ साईं राम!!!
Khaparde's Shirdi Diary~खापर्डे शिरडी डायरी~
९ दिसम्बर , १९१०~~~
मैं और मेरे पुत्र ने आज जाना चाहा | सुबह पूजा के बाद हमेशा की तरह हम साईं महाराज के दर्शन को गए | उनहोंने मेरे पुत्र से पूछा कि क्या वे जाना चाहता है , और फिर बोले कि हम जा सकते है | हमने सोचा कि हमें जाने की आज्ञा मिल गयी और हम चलने की तैयारी करने लगे | मेरे पुत्र ने सारी चीज़ें बाँधीं और एक गाडी जाने के लिए और दूसरी सामन ले जाने के लिए तैयार की | दोपहर में रवाना होने से पहले हम औपचारिक रूप से हम साईं महाराज से मिलाने गए|
मुझे देखकर साईं महाराज बोले , " क्या तुम्हारा वास्तव में जाने का इरादा है ?? " मैंने उत्तर दिया - " मैं जाना चाहता हूँ लेकिन अगर आपकी आज्ञा न हो तो नहीं |" उनहोंने कहा , " तुम कल या परसों जा सकते हो | वडा तो हमारा घर है और जब मैं यहाँ हूँ तो किसी को भी डराने की ज़रूरत नहीं | यह हमारा घर है और तुम्हें भी इसे अपना ही घर समझना चाहिए|" मैं रुकने के लिए मान गया और हमने अपने रवाना होने के सारे प्रबंध रोक दिए | हम बातचीत करने के लिए बैठ गए | साईं महाराज बहुत आनन्द में थे और उनहोंने बहुत सारी अच्छी बातें कहीं लेकिन शायद मैं उन्हें समझ नहीं पाया|
जय साईं राम!!!