Khaparde's Shirdi Diary~~~खापर्डे शिरडी डायरी~~~
९ दिसम्बर , १९११ ~~~मुझे उठने में और प्रार्थना करने में थोड़ी देर हो गई | आज श्री चांदोरकर एक नौकर के साथ आए | अन्य भी आए और कुछ लोग जो यहाँ थे चले गए | श्री चांदोरकर सरल और बहुत भले आदमी हैं , बातचीत में बहुत मधुर और अपने व्यवहार में सुलझे हुए | मैं मस्जिद में गया और देर तक वहां कही जाने वाली बातों को सुनता रहा | साईं महाराज आनन्द भाव में थे | मैं अपना हुक्का वही ले गया और साईं महाराज ने उसमें से काश लिया | आरती के समय वे अनोखे रूप में सुन्दर दिखे , लेकिन उसके तुरंत बाद बा ही उन्होंने सब को वापिस भेज दिया | उन्होंने कहा की वे हमारे साथ रात्रि भोज के लिए आएँगे | वे मेरी पत्नी की " आजीबाई " कहते हैं | हमारे ठिकाने पर लौटने पर हमें पता चला कि श्री दीक्षित की पुत्री , जो बीमार थी , वो चल बसी | कुछ दिनों पहले मृतक को स्वप्न आया कि साईं महाराज ने उसे नीम के पेड़ के नीचे रखा था | साईं महाराज ने भी कल कहा था कि उस बालिका की मृत्यु हो गई है | हम लोग उस दुखद घटना के बारे में बात के बारे में बात करने बैठे |वह बच्ची केवल सात वर्ष की थी | मैं गया और उसके पार्थिव अवशेषों को देखा | वे बहुत मनमोहक लगे, उसके चहरे पर मृत्यु के बाद जो भाव था वः अनोखे रूप से मधुर था | इससे मुझे मडोना के उस चित्र की स्मृति हो आई जिसे मैंने इंग्लैड में देखा था | डाह संस्कार हमारे वाड़े के पीछे हुआ |
मैं शव यात्रा में शामिल हुआ और चार बजे शाम तक नाश्ता नहीं किया | दीक्षित ने यह धक्का खूब अच्छी तरह झेला | उनकी पत्नी स्वाभाविक रूप से दुःख के मारे टूट गई | हर किसी ने उनके साथ सहानुभूति की | शाम को सूर्यास्त और शेज आरती दोनों समय मैं साईं महाराज को देखने चावडी गया | रात को मैं , माधव राव देशपांडे , भीष्म और बाकी लोग देर तक साईं महाराज के बारे में बात करने बैठे | ठोसर को साईं महाराज से बंबई लौटने की आज्ञा मिल गई | वे कल सुबह जाएंगे |
जय साईं राम!!!