ॐ साईं राम!!!
Khaparde's Shirdi Diary~~~खापर्डे शिरडी डायरी~~~
८ दिसम्बर १९१०~~~
सुबह के वक्त , पूजा के बाद हमने साईं साहेब के और दिनों की तरह दर्शन किये , जब वे बाहर जा रहे थे | बाद में हम दोपहर में उनको देखने गए लिकिन हमें लौटना पड़ा क्योंकि वे अपने पैर धो रहे थे | बाबासाहेब सहस्त्रबुद्धे , मैं , मेरा पुत्र और एक कोई एनी सज्जन , जो आज सुबह ही आए थे उस दल में शामिल थे जिसे वापस लौटना पड़ा | तात्या साहेब नूलकर हमारे साथ नहीं आए थे | बाद में हम फिर से गए , लेकिन साईं साहेब ने हमें जल्दी ही वापिस कर दिया इसीलिए हम लौट आए | वे कुछ सोचने में बहुत व्यस्त दिखलाई पड़े | रात को साईं साहेव चावडी में सोए और हम शोभा यात्रा देखने गए | वह बहुत अच्छी थी | जिन सज्जन के बारे में ऊपर कहा गया था , वे एक पुलिस अफसर हैं , मेरे ख्याल से हेड कांस्टेबल | उन पर घुसखोरी का आरोप था और सेशन कोर्ट ने उन पर मुकद्दमा चलाया | उन्हेंने संकल्प किया था कि अगर वे इस मुकद्दमे में छुट जाए तो वह साईं महाराज के पास आए गे |वह छुट गए और अपना संकल्प पूरा करने आये हैं | उनको देख कर साईं महाराज बिगड़े और पुचा -- " तुम कुछ और दिनों वहाँ क्यों नहीं ठहरे ?? बेचारे लोग निराश हुए होंगे |'' उन्हेंने यह बात दो बार कहीं | बाद में हमें पता चला कि उन सज्जन के मित्रों ने उनको रुकने के लिए बहुत कहा लिकिन उन्हेंने उनके आग्रह को नहीं माना | उन्हेंने साईं साहेब को पहले नहीं देखा था | और उनके मित्रों ने निश्चय ही उन्हें कभी नहीं देखा होगा | आश्चर्य है कि साईं महाराज ने उनको जान लिया और वह सब कहा |
जय साईं राम!!!