Khaparde's Shirdi Diary~~~खापर्डे शिरडी डायरी~~~
१८ दिसम्बर , १९११ ~~~मेरा गला कल से बेहतर है | प्रार्थना के बाद मैं श्री शिंगणे , वामनराव पटेल और दरवेश साहेब , जिनका पूरा नाम कल्याण के दरवेश हाजी मुहम्मद सिद्दीक मालूम पड़ता है , के साथ बातचीत करने बैठा | मैंने साईं साहेब के बाहर जाते हुए दर्शन किए और बाद में मैं मस्जिद गया जव वे लौटे | उन्होंने कहा मैं अपनी बाल्टी भर चुका था , नीम की ठंठी हवा का आनन्द ले रहा था और अपने आप में ही आनन्दित था | जबकि वे सारे परेशानी झेलते रहे और सोये नहीं | वे बहुत ही आनन्दित थे और बहुत से लोग पूजा करने आए | मेरी पत्नी भी आई | हम लोग दोपहर की आरती के बाद लौटे और खाने के बाद हाजी साहेब , बापूसाहेब जोग और अन्य लोगों के साथ बात करने बैठे | शाम होने पर हम मस्जिद गए और साईं साहेब के समीप बैठे लेकिन ज्यादा समय नहीं रह गया था क्योंकि शाम हो चली थी | इसलिए उन्हेंने हमें विदा किया और हम चावड़ी के सामने खड़े हो गए और सामान्य दिनों की ही तरह उन्हें वही से नमन किया | अपने ठिकाने में लौटने पर मैं भीष्म के भजन सुनने बैठा |
जय साईं राम!!!