Khaparde's Shirdi Diary~~~खापर्डे शिरडी डायरी~~~
१९ दिसम्बर , १९११ ~~~सुबह मैं जल्दी उठ गया , तरोताजा महसूस किया , प्रार्थना की आयर मैं हर तरह से बेहतर लगा | जब मैं अभी पूजा कर ही रहा था , साईं महाराज बाहर निकले इसीलिए मैं उनके दर्शन न कर सका | बाद में मैं मस्जिद गया और उन्हें बहुत आनन्द भाव में पाया | उन्होंने कहा की एक अमीर आदमी था जिसके पाँच लड़के और एक लडकी थी | इन बच्चों ने पारिवारिक संपत्ति का बटवारा कर लिया | चार लड़कों ने तो चल और अचल संपत्ति में अपना हिस्सा ले लिया | पाँचवाँ लड़का और लडकी अपने हिस्से का अधिकार नहीं ले सके | वे भूखे घूमते रहे और साईं बाबा के पास आए | उनके पास रतनों से भरी छह गाड़ियां थी | लुटेरे छह में से दो गाड़िया ले गए | बाकी चार को बरगद के पेड़ के नीचे खडा कर दिया | यहीं पर त्रिंबक , जिसे बाबा मारुति कहते हैं , ने टोक दिया और कहानी का रुख बदल दिया | दोपहर की आरती के बाद मैं अपने ठिकाने पहुँचा , खाना खाया और दरवेश साहेब के साथ बातचीत करने बैठा | वे बहुत ही भले व्यक्ति है | वामनराव पटेल आज चले गए | दोपहर में राममूर्ति बुआ आए | भजन के दौरान वे बहुत नाचे-कूदे | हमने साईं महाराज के शाम को दर्शन किए और फिर शेज आरती के समय | राममूर्ति बुआ भीष्म के भजन में सम्मिलित हुए और नाचे और उछले | आज दोपहर साईं बाबा नीम गाँव की ओर निकले , डेंगले के पास गए , एक पेड़ काटा और वापिस लौटे , बहुत लोग साज-बाज लेकर उनके पीछे गए और उन्हें घर लाए | मैं बहुत दूर नहीं गया | राधा कृष्णा बाई हमारे वाड़े के पास साईं साहेब का अभिनन्दन करने आई और मैंने पहली बार उन्हें लम्बे घूँघट के बगैर देखा |
जय साईं राम!!!