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Friday, April 20, 2012

ॐ साईं राम!!!

२७ जनवरी , १९१२~~~


मैं सुबह जल्दी उठा , प्रार्थना की और काकड़ आरती में सम्मलित हुआ | साईं बाबा बिना बोले मस्जिद नहीं गए , फिर भी उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं कहा | मैं , उपासनी , बापू साहेब जोग और भीष्म ने पमामृत पड़ी , साईं बाबा के बाहर जाते हुए और फिर वापस लौटते के बाद दर्शन किए | दोपहर की आरती आराम से हो गयी और उसके बाद हमने सामान्य दिनों की तरह ही भोजन किया | मैं थोड़ी देर लेता और फिर मैंने पत्र लिखा , और दोपहर में दीक्षित द्वारा रामायण के पाठ में सम्मलित हुआ | हमने साईं बाबा के सैर के समय दर्शन किए | उन्होंने आनन्द भाव में लेकिन गंम्भीरता से बाते की | बातों के आखिर में वि आवाज़ ऊँची कर वे क्रुद्ध भाव में वे बोले | मुझे बताया गया कि अन्धेरा होने के बाद वे और ऊँचा बोले और इस बात के लिए अपना क्रोध दिखाया कि इब्राहिम जिसने अपना धर्म बदल लिया था वह खींड के पास टूटी हुई दीवार पर अपना हाथ रख कर खड़ा हुआ था | साईं साहेब के कपड़े भी राधा कृष्णाबाई के द्वारा धोए गए थे और वे ऐसा करने पर उनसे नाराज़ थे |



जय साईं राम!!!