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Friday, April 20, 2012

ॐ साईं राम!!!

२९ जनवरी , १९१२~~~


मैं सुबह सुबह जल्दी उठ गया , प्रार्थना की आयर ये पाया कि मैं ज्यादा ही जांदी उठ गया था , लेकिन फिर जगा ही रहा और काकड़ आरती मैं उपस्थित हुआ | लौटने के बाद मैंने अपनी दिनचर्या आरम्भ की | करीब नौ बजे मैं बापू साहेब पास गया और फिर उनके साथ उपासनी के पास , परमामृत आरम्भ की , लेकिन बिना किसी वजह के मुझे इतनी ज्यादा नींद आती रही कि मैं आगे नहीं बढ सका | आखिरकार मैं अपने ठिकाने पर लौट आया और लेट गया , और इतने देर तक सोता रहा कि दोपहर साड़े बारह या एक बजे तक भी उठ नहीं पाया | माधवराव देशपांडे और दूसरों ने मुझे जगाने की कोशिश की , और जोर से आवाज़े भी दी लेकिन मैंने कोइ जवाब नहीं दिया | आखिर वे लोग आरती के लीर चले गए और किसी तरह ये बात साईं महाराज के कानों तक पहुँच गयी और उन्होंने कहा नि वे मुझे जगाएं गे | किसी तरह जब आरती पूरी की जा रही थी तब मैं उठा और उसके अंतिम चरण में सम्मलित हुआ | मैं इतनी देर तक सोने के लिए बहुत शर्मिन्दा हुआ |


बाकी दिन भर भी मैं सुस्त ही रहा | नारायण राव बामनगाँवकर आज सोलापुर से आए | वे एक भले नवयुवक है और उनसे बातचीत करने बैठा | फिर दोपहर में मैं दीक्षित के पुराण में सम्मलित हुआ और साईं साहेब के शाम की सैर पर दर्शन किए | मैंने उनके दर्शन सुबह नौ और दस बजे के बीच में भी किए थे , जब वे बाहर गए थे | शाम को भीष्म के भजन हुए और बाद में दीक्षित की रामायण | उन्होंने और दिनों की तरह रामायण का पाठ किया |


जय साईं राम!