OM SRI SAI NATHAYA NAMAH. Dear Visitor, Please Join our Forum and be a part of Sai Family to share your experiences & Sai Leelas with the whole world. JAI SAI RAM

Thursday, June 28, 2012


ॐ साईं राम



१२ मार्च, मँगलवार, १९१२-


जैसे ही मैंने अपनी सुबह की प्रार्थना समाप्त की, समाचार आया कि आज नाना साहेब चाँदोरकर आने वाले हैं। हमने अपनी पँचदशी की सँगत की और आज के कार्य सम्पन्न किए। पुस्तक सम्पूर्ण करने के उपलक्ष्य में हमने दो अनार खाए। 

हमने साईं महाराज के बाहर जाते हुए दर्शन किए। जब वे मस्जिद में लौटे तब मैं उनके दर्शन के लिए गया। जैसे ही मैं बैठा , साईं साहेब बोले-"लोग बहुत अज्ञानी हैं, जब वे मुझे स्थूल शरीर में नहीं पाते तो समझते हैं कि मैं अनुपस्थित हूँ।" उसके बाद उन्होंने कहा कि आज प्रातः उन्हें पिम्पलगाँव का ध्यान आया, फिर वहाँ के चार लोगों ने मस्जिद आते हुए उनका पीछा किया। फिर किसी तरह से बातचीत विवाह से जुड़ी निशानियों की ओर मुड़ गई और एक नई बनाई जा रही दीवार की ओर सँकेत करते हुए साईं साहेब ने कहा कि वहाँ एक रास्ता और नीम का पेड़ हुआ करता था। वहाँ एक बूढ़ा आदमी जो कि बहुत धर्मनिष्ठ था, बैठा करता था। वह जालना से आया था और लगभग १२ वर्ष तक उसने वापिस लौटने की नहीं सोची जबकि उसके भाई और परिवार ने उसकी अनुपस्थिति में बहुत दुख झेला। अँततः वह लौटने के लिए चला। वह घोड़े की पीठ पर सवार हो कर चला और साईं साहेब ने एक ताँगे में उसका साथ दिया। जालना पहुँचने पर वह बूढ़ा अपनी पत्नि और चार पुत्रों के साथ रहा, फिर उसने अचानक अपने भाई की बेटी से विवाह करने का निश्चय किया। विवाह सम्पन्न हुआ हालाँकि सबने तिरस्कार की हद तक उसकी हँसी उड़ाई। दुल्हन बहुत अल्पायु थी। अँततः वह बड़ी हुई और बूढ़े आदमी का उससे एक पुत्र हुआ। जब उसका पुत्र ६ वर्ष का हुआ तब बूढ़े व्यक्ति की मृत्यु हो गई। उस लड़के को भाइयों ने ज़हर दे दिया। जवान विधवा और शोकसँतप्त माँ ने सादा जीवन व्यतीत किया, कभी पुनः विवाह नहीं किया और अँततः वे मर गईं। वह लड़का पुनः बाबू बन कर पैदा हुआ, फिर मरा और अब बम्बई में उसका पुनः जन्म हुआ। ईश्वर के कार्य ऐसे ही विशिष्ट होते हैं। 


दोपहर की आरती के समय नाना साहेब चाँदोरकर का परिवार आया और कुछ ही देर बाद वह स्वँय आए। उन्होंने एक भोज का आयोजन किया और दोनों वाड़ों के लोगों को आमँत्रित किया। सब कुछ समाप्त होते होते हमें ५ बज गए। बाबा पालेकर नाना साहेब के साथ आए। वह अमरावती से आए हैं और मेरे साथ ठहरे हैं। मैं स्वाभाविक रूप से उनके साथ बैठ कर बात करने लगा। मेरे लोग काफी तँगी में हैं। 


मैं साईं साहेब की शाम की सैर में सम्मिलित हुआ। श्रीमान नाना साहेब चाँदोरकर अपने परिवार के साथ वाड़ा आरती के बाद चले गए। उन्हें विदा करने के बाद मैंने और बाला साहेब भाटे ने चावड़ी में शेज आरती में हिस्सा लिया। रात को एक हरिदास ने जो पहले यहाँ ही हुआ करता था, एक कहानी सुनाते हुए कीर्तन किया। हरिदास भुसावल से है।


जय साईं राम