ॐ साईं राम
११ मार्च, सोमवार, १९१२-
काँकड़ आरती सँगीतमय तरीके से हुई, और दीपक सभी ने घुमाए। आज प्रातः काँकड आरती इसी तरह की गई। साईं बाबा बहुत प्रसन्न दिख रहे थे, उन्होंने कोई कटु शब्द नहीं बोले और कहा कि उनके माता और पिता वहाँ उपस्थित थे। उन्होंने हमें वाड़े में जाने के लिए भी कहा।
वापिस आने पर मैंने प्रार्थना की और अपनी पँचदशी की सँगत की। दोपहर की आरती हमेशा की तरह सम्पन्न हुई। शाम होते होते हमने साईं साहेब के दर्शन उनकी सैर के समय दर्शन किए। वे प्रसन्नचित्त थे। वाड़ा आरती हुई और भीष्म ने स्वामीभाव दिनकर और दासबोध का पठन किया, और उसके बाद भजन भी हुए।
जय साईं राम
११ मार्च, सोमवार, १९१२-
काँकड़ आरती सँगीतमय तरीके से हुई, और दीपक सभी ने घुमाए। आज प्रातः काँकड आरती इसी तरह की गई। साईं बाबा बहुत प्रसन्न दिख रहे थे, उन्होंने कोई कटु शब्द नहीं बोले और कहा कि उनके माता और पिता वहाँ उपस्थित थे। उन्होंने हमें वाड़े में जाने के लिए भी कहा।
वापिस आने पर मैंने प्रार्थना की और अपनी पँचदशी की सँगत की। दोपहर की आरती हमेशा की तरह सम्पन्न हुई। शाम होते होते हमने साईं साहेब के दर्शन उनकी सैर के समय दर्शन किए। वे प्रसन्नचित्त थे। वाड़ा आरती हुई और भीष्म ने स्वामीभाव दिनकर और दासबोध का पठन किया, और उसके बाद भजन भी हुए।
जय साईं राम