ॐ साईं राम
गणेश जो कि अपने जीवन के अगले चरण में दादा साहेब के नाम से विख्यात हुए, एलफिन्स्टन कॅालेज में पहले जूनियर फैलो और फिर सीनियर फैलो बने और इस हैसियत से सँस्कृत और अँग्रेज़ी पढ़ाने में सहायक बने। यह भी कहा जा सकता है कि दादासाहेब एक जन्मजात बहुभाषाविद थे क्योंकि वह दूसरी भाषाओं जैसे कि गुजराती में भी सिद्ध थे और इन भाषाओं के कुशल सुवक्ता थे।
स्नातक होने के बाद दादासाहेब ने १८८४ में कानून की डिग्री ली और उसके तुरँत बाद वकालत शुरु की। उसके बाद १८८५ से १८८९ के बीच मुन्सिफ का कार्य करने के बाद वह वकालत के पेशे में लौटे और शीघ्र ही एक अग्रणीय वकील के रूप में स्थापित हो गए। १८९० से उन्होंने सार्वजनिक जीवन में हिस्सा लेना शुरू किया और उसी वर्ष जिला परिषद के प्रधान बन गए।
आगे जारी रहेगा॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
जय साईं राम
गणेश जो कि अपने जीवन के अगले चरण में दादा साहेब के नाम से विख्यात हुए, एलफिन्स्टन कॅालेज में पहले जूनियर फैलो और फिर सीनियर फैलो बने और इस हैसियत से सँस्कृत और अँग्रेज़ी पढ़ाने में सहायक बने। यह भी कहा जा सकता है कि दादासाहेब एक जन्मजात बहुभाषाविद थे क्योंकि वह दूसरी भाषाओं जैसे कि गुजराती में भी सिद्ध थे और इन भाषाओं के कुशल सुवक्ता थे।
स्नातक होने के बाद दादासाहेब ने १८८४ में कानून की डिग्री ली और उसके तुरँत बाद वकालत शुरु की। उसके बाद १८८५ से १८८९ के बीच मुन्सिफ का कार्य करने के बाद वह वकालत के पेशे में लौटे और शीघ्र ही एक अग्रणीय वकील के रूप में स्थापित हो गए। १८९० से उन्होंने सार्वजनिक जीवन में हिस्सा लेना शुरू किया और उसी वर्ष जिला परिषद के प्रधान बन गए।
आगे जारी रहेगा॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
जय साईं राम