ॐ साईं राम
इस समयावधि की डायरी में जो कि १९२४-१९२५ में श्री साईं लीला में प्रकाशित हुई थी, उसके कुछ उद्धरण हैं जो कुछ मायने में अधूरे हैं, और कुछ तो बिल्कुल छूट गए हैं। आइए देखते हैं कि यह उद्धरण कौन से हैं।
८ दिसँबर १९११ की प्रविष्टि में से ये पँक्तियाँ छूट गई है॰॰॰॰॰॰॰॰
" माधवराव देशपाँडे यहाँ हैं और वह सो गए। मैंने जो अपनी स्वयँ की आँखो से देखा और जो अपने कानों से सुना, वह केवल पढ़ा था, कभी अनुभव नहीं किया था॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰माधवराव देशपाँडे की हर आती जाती साँस के साथ ' साईं नाथ महाराज', ' साईं नाथ महाराज ' की स्प्ष्ट ध्वनि सुनाई दे रही थी।॰॰॰॰॰॰॰यह ध्वनि जितनी स्पष्ट हो सकती थी, उतनी थी और माधवराव देशपाँडे के खर्राटों के साथ , दूरी से भी यह शब्द सुने जा सकते थे। यह सचमुच अद्भुत है। "
१२ से १५ मार्च १९१२ तक की प्रविष्टियाँ-
निम्नलिखित पँक्तियाँ १२ और १३ मार्च १९१२ की हैं और मराठी में लिखित जीवनी से अँग्रेज़ी में रुपाँतरित की गई-
१२ मार्च १९१२ की प्रविष्टि-
" हमने अपनी पँचदशी की सँगत की और आज के कार्य सम्पन्न किए। पुस्तक सम्पूर्ण करने के उपलक्ष्य में हमने दो अनार खाए। "#
" बाबा पालेकर नाना साहेब के साथ आए। वह अमरावती से आए हैं और मेरे साथ ठहरे हैं। मैं स्वाभाविक रूप से उनके साथ बैठ कर बात करने लगा। मेरे लोग काफी तँगी में हैं। "#
१३ मार्च १९१२ की प्रविष्टि-
" बाबा पालेकर को मुझे कल या परसों ले जाने की अनुमति प्राप्त हो गई। "#
१४ और १५ मार्च १९१२ की प्रविष्टियाँ श्री साईं लीला में प्रकाशित डायरी में से बिल्कुल अनुपस्थित थीं। यह पँक्तियाँ मराठी भाषा में लिखित जीवनी से ली गई हैं और अँग्रेज़ी में रूपाँतरित की गई है।
# पाठकों की सुविधा के लिए और निरँतरता को बनाए रखने के लिए यह पँक्तियाँ पहले जोड़ कर लिख दी गई हैं।
आगे जारी रहेगा॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰�� �॰॰
जय साईं राम
इस समयावधि की डायरी में जो कि १९२४-१९२५ में श्री साईं लीला में प्रकाशित हुई थी, उसके कुछ उद्धरण हैं जो कुछ मायने में अधूरे हैं, और कुछ तो बिल्कुल छूट गए हैं। आइए देखते हैं कि यह उद्धरण कौन से हैं।
८ दिसँबर १९११ की प्रविष्टि में से ये पँक्तियाँ छूट गई है॰॰॰॰॰॰॰॰
" माधवराव देशपाँडे यहाँ हैं और वह सो गए। मैंने जो अपनी स्वयँ की आँखो से देखा और जो अपने कानों से सुना, वह केवल पढ़ा था, कभी अनुभव नहीं किया था॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰माधवराव देशपाँडे की हर आती जाती साँस के साथ ' साईं नाथ महाराज', ' साईं नाथ महाराज ' की स्प्ष्ट ध्वनि सुनाई दे रही थी।॰॰॰॰॰॰॰यह ध्वनि जितनी स्पष्ट हो सकती थी, उतनी थी और माधवराव देशपाँडे के खर्राटों के साथ , दूरी से भी यह शब्द सुने जा सकते थे। यह सचमुच अद्भुत है। "
१२ से १५ मार्च १९१२ तक की प्रविष्टियाँ-
निम्नलिखित पँक्तियाँ १२ और १३ मार्च १९१२ की हैं और मराठी में लिखित जीवनी से अँग्रेज़ी में रुपाँतरित की गई-
१२ मार्च १९१२ की प्रविष्टि-
" हमने अपनी पँचदशी की सँगत की और आज के कार्य सम्पन्न किए। पुस्तक सम्पूर्ण करने के उपलक्ष्य में हमने दो अनार खाए। "#
" बाबा पालेकर नाना साहेब के साथ आए। वह अमरावती से आए हैं और मेरे साथ ठहरे हैं। मैं स्वाभाविक रूप से उनके साथ बैठ कर बात करने लगा। मेरे लोग काफी तँगी में हैं। "#
१३ मार्च १९१२ की प्रविष्टि-
" बाबा पालेकर को मुझे कल या परसों ले जाने की अनुमति प्राप्त हो गई। "#
१४ और १५ मार्च १९१२ की प्रविष्टियाँ श्री साईं लीला में प्रकाशित डायरी में से बिल्कुल अनुपस्थित थीं। यह पँक्तियाँ मराठी भाषा में लिखित जीवनी से ली गई हैं और अँग्रेज़ी में रूपाँतरित की गई है।
# पाठकों की सुविधा के लिए और निरँतरता को बनाए रखने के लिए यह पँक्तियाँ पहले जोड़ कर लिख दी गई हैं।
आगे जारी रहेगा॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰�� �॰॰
जय साईं राम