ॐ साईं राम
१४ मार्च, बृहस्पतिवार, १९१२-
मैं प्रातः जल्दी उठा, प्रार्थना की और अपनी पँचदशी की सँगत की। हमने पहले के प्रथम विवेक के कुछ छँदों को पुनः दोहराया। हमने साईं साहेब के बाहर जाते हुए दर्शन किए और बाद में जब वे लौटे तो मैं मस्जिद में गया। बाबा पालेकर पहले गए और कल मेरे अमरावती लौटने की अनुमति प्राप्त की। चलने का निश्चित समय अभी अनिश्चित है।
दोपहर की आरती हमेशा की तरह सम्पन्न हुई और दोपहर के भोजन के बाद मैं थोडी देर लेट गया। सतारा से एक शास्त्री एल॰सँशग्यावती उमा की तरुणाई की औपचारिक घोषणा के लिए आए हैं। उन्होंने साईं साहेब के दर्शन भी किए। दोपहर में हमने अपनी पँचदशी की सँगत को आगे बढ़ाया और शाम होते होते साईं महाराज की शाम की सैर के समय उनके दर्शन किए। रात्रि में वाड़ा आरती और बाद में शेज आरती हुई। मैं दोनों में सम्मिलित हुआ। फिर भीष्म ने थोड़ा स्वामीभाव दिनकर और दासबोध का पठन किया।
जय साईं राम
१४ मार्च, बृहस्पतिवार, १९१२-
मैं प्रातः जल्दी उठा, प्रार्थना की और अपनी पँचदशी की सँगत की। हमने पहले के प्रथम विवेक के कुछ छँदों को पुनः दोहराया। हमने साईं साहेब के बाहर जाते हुए दर्शन किए और बाद में जब वे लौटे तो मैं मस्जिद में गया। बाबा पालेकर पहले गए और कल मेरे अमरावती लौटने की अनुमति प्राप्त की। चलने का निश्चित समय अभी अनिश्चित है।
दोपहर की आरती हमेशा की तरह सम्पन्न हुई और दोपहर के भोजन के बाद मैं थोडी देर लेट गया। सतारा से एक शास्त्री एल॰सँशग्यावती उमा की तरुणाई की औपचारिक घोषणा के लिए आए हैं। उन्होंने साईं साहेब के दर्शन भी किए। दोपहर में हमने अपनी पँचदशी की सँगत को आगे बढ़ाया और शाम होते होते साईं महाराज की शाम की सैर के समय उनके दर्शन किए। रात्रि में वाड़ा आरती और बाद में शेज आरती हुई। मैं दोनों में सम्मिलित हुआ। फिर भीष्म ने थोड़ा स्वामीभाव दिनकर और दासबोध का पठन किया।
जय साईं राम