ॐ साईं राम
३० दिसम्बर, बृहस्पतिवार, १९१५-
शिरडी-
मैं प्रातः रोज़ाना की तरह उठा, प्रार्थना की और कोई एक कार्निक के साथ बात करने लगा, जो कि स्वर्गीय अमृतराव अबाजी के सँबँधी निकले। मैंने बैठ कर फकीर बाबा से भी बात की, उन्होंने बहुत अच्छे ढँग से प्रगति की है और एक ऐसे मुकाम पर पहुँच गए हैं, जहाँ से वह स्थायी रूप से आध्यात्मिक पथ पर स्थापित हो गए हैं। मैं बैठ कर उनसे बात करता रहा।
साईं महाराज पहले से कुछ ठीक हैं। मैंने आज नैवेद्य अर्पित किया और पूजा की। लगभग सौ लोग नाशते के लिए आमँत्रित किए गए थे जो कि बहुत देर तक चला। असल में हम शाम ४ बजे निवृत हुए। माधवराव देशपाँडे हमेशा की तरह बहुत सहायक सिद्ध हुए। बापू साहेब बूटी का वाड़ा बहुत सुन्दर तरीके से निर्मित हो रहा है। वह एक पत्थर की इमारत है और बहुत मज़बूत है तथा अधिवास के लिए बहुत सुविधाजनक है।
आज चावड़ी उत्सव था और मैंने छत्र पकड़ कर उसमें हिस्सा लिया। आईसाहेब भी अस्वस्थ हैं श्रीमान पी॰हाटे आज कल्याण चले गए क्योंकि उनके दामाद अस्वस्थ कहे जा रहे हैं। साईं बाबा ने उन्हें पूरा श्रीफल दिया। अतः मुझे लगता है कि वह युवक ठीक हो जाएगा।
जय साईं राम
३० दिसम्बर, बृहस्पतिवार, १९१५-
शिरडी-
मैं प्रातः रोज़ाना की तरह उठा, प्रार्थना की और कोई एक कार्निक के साथ बात करने लगा, जो कि स्वर्गीय अमृतराव अबाजी के सँबँधी निकले। मैंने बैठ कर फकीर बाबा से भी बात की, उन्होंने बहुत अच्छे ढँग से प्रगति की है और एक ऐसे मुकाम पर पहुँच गए हैं, जहाँ से वह स्थायी रूप से आध्यात्मिक पथ पर स्थापित हो गए हैं। मैं बैठ कर उनसे बात करता रहा।
साईं महाराज पहले से कुछ ठीक हैं। मैंने आज नैवेद्य अर्पित किया और पूजा की। लगभग सौ लोग नाशते के लिए आमँत्रित किए गए थे जो कि बहुत देर तक चला। असल में हम शाम ४ बजे निवृत हुए। माधवराव देशपाँडे हमेशा की तरह बहुत सहायक सिद्ध हुए। बापू साहेब बूटी का वाड़ा बहुत सुन्दर तरीके से निर्मित हो रहा है। वह एक पत्थर की इमारत है और बहुत मज़बूत है तथा अधिवास के लिए बहुत सुविधाजनक है।
आज चावड़ी उत्सव था और मैंने छत्र पकड़ कर उसमें हिस्सा लिया। आईसाहेब भी अस्वस्थ हैं श्रीमान पी॰हाटे आज कल्याण चले गए क्योंकि उनके दामाद अस्वस्थ कहे जा रहे हैं। साईं बाबा ने उन्हें पूरा श्रीफल दिया। अतः मुझे लगता है कि वह युवक ठीक हो जाएगा।
जय साईं राम